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कुछ पल अपने लिये

Monday, July 6, 2009 Leave a Comment

अक्सर लोग बरसात में कहीं न कहीं आसरा ले इंतजार करते है पानी के रूक जाने का। बहुत कम ही ऐसे होते है जो इस पानी में भीग कर आनंद उठाते है जीवन का।
क्योंकि हम रोज एक नपी-तुली सी जिदंगी जीते है। जिसमें कोई जीवंतता नहीं होती है। जो बस एक बंधी -बंधाई दिनचर्या के अनुसार चलती रहती है।
बच्चों सा सच्चा मन : क्या आपने कभी सोचा है बच्चे मन के कितने सच्चे होते है वह आकृति के बाहर भी रंग भरकर खुश हो जाते है,और अपने आपकों चित्रकार मान लेते है। लेकिन हम बडेÞ एक छोटी सी गलती को भी नजÞरअंदाज नहीं करते और दिनभर इसी उधेड़बुन में लगे रहते है, और अपने पास आई छोटी-छोटी खुशियों को भी यू हीं गुजर जाने देते है। जबकि चाहे तो आप भी इन पलों को खुलकर जी सक ते है।
बनाये एक नई छबि: अक्सर लोग जब भी आईने में अपना चेहरा देखते है तो अपनी कमियों पर ही गौर करते है जैसे जैसे बाल कितने रफ लग रहे है, फे स कितना डल हो गया है, और इन्हीं बातों को सोचते हुये अपने जीवन को और नीरस बना लेते है। लेकिन यदि आप यह मानकर चलेकि मैं जैसी हूँ, वैसी ही खुद को स्वीकार कर बहुत खुश हूँ, तो यकीनन आपके जीवन में काफी बदलाव आयेगा, और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होगा।
डरना क्या झिझक कैसी : बच्चों के साथ फुटबाल खेलूगी तो लोग क्या कहेगें? साडी पहनकर भी कोई रेस लगाता है। सुबह घर में फूलदान सजाने से क्या होगा? खुशबूदार मोमबतियां खरीदकर क्या क रूंगी, यह कुछ ऐसे कामकाजी सवाल है जिनको करने से हम अक्सर झिझकते है, पर यदि मन में छुपी इन शकाओं को धकेलकर आप थोडी देर को सही अपने मन मुताबिक काम करे तो आपको बहुत अच्छा लगेगा। जो आपके विश्वास को और सदृढ़ करेगा।
जल्द फैसले करे : आपके देवर का परिवार अचानक आकर दो दिन के लिए बाहर चलने का आग्रह करते है, तो आप उनसे यही कही कि आपने पहले क्यों नहीं बताया, अभी तो जाना मुश्किल है। ऐसे स्थिति यदि थोडा सा सोच समझकर फै सला ले, और यदि आप जा सकते है तो जरूर जाये। क्योंकि इससे आपकी बोरिंग दिनचर्या में भी थोड़ा चेज आता है और जीवन में नये उत्साह और उंमग का संचार होता है।
हम सब रोज अगले दिन की योजना बनाते है। जो ठीक भी है। क्योंकि यह व्यस्थित और नियमित जीवन की पहली शर्त है, लेकिन कल क्या करना है,अगले महीने व अगले साल क्या पाना है? इस उधेड़बुन में हमें आज की अभी नजÞरअदांज नहीं करना चाहिये, और जी भर कर इन पलों को जीना चाहिए।

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