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माहौल अनुकूल नहीं
सतना।
भाजपा के प्रदेश प्रभारी ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि प्रदेश के मंत्री और सरकार में शामिल लोग पार्टी कार्यकर्ताओं व आम मतदाताओं के पास पहुंचे और उनकी बातें ध्यान से सुनें। भाजपा कार्यालय में आज से प्रारंभ बैठक को लेकर जिस एजेंडे के आधार पर चलना था उन मुद्दों पर भले ही बातें पूरी न हो पाई हों लेकिन पार्टी के प्रदेश प्रभारी ने जमीनी कार्यकर्ताओं की पूछ परख अवश्य बढ़ा दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि विधानसभा के चुनावीं नतीजों को आगामी नगरीय निकाय व पंचायती राज के चुनाव में दोहराना है तो कार्यकर्ताओं की बात सुनना ही पड़ेगी। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री निवास भोपाल में आयोजित पार्टी की बैठक में भी लोकसभा चुनाव की असफलता का मुद्दा हावी रहा और सतना में पहली बार आयोजित प्रदेश कार्यसमिति की बैठक भी उस मुद्दे से उबर नहीं पाई। बैठक में नगरीय निकाय के आगामी चुनाव में हर कीमत पर सफलता हासिल करने की बातें प्रमुखता के साथ उठाई जानी थी लेकिन इस मुद्दे की तह में आने के लिये लोकसभा चुनावों की पराजय पर चर्चा अपने आप होने लगती थी। बैठक में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहे लेकिन उनकी मौजूदगी केवल स्वागत और लोगों की बातें सुनने तक ही सीमित रही। जबकि प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने अपनी बातें लोगों के समक्ष रखीं। बैठक कक्ष में उस समय अजीबोगरीब स्थिति बन गई जब कई नेता खुलकर यह कहने लगे कि लोकसभा में अपेक्षित सफलता न मिलने का एक बड़ा कारण प्रत्याशी भी रहे। एक बार सांसद बनने के बाद जो लोग कार्यकर्ताओं और आम मतदाताओं से दूर हो गये तथा अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति में ही जुटे रहे वह हार गये। बैठक में पूर्व सांसद सत्यनारायण जटिया, नन्द कुमार चौहान, चन्द्रमणि त्रिपाठी और कृष्णमुरारी मोघे भी मौजूद थे लेकिन वह चुपचाप बगलें झांकते रहे। इस बैठक में सदस्यता अभियान आजीवन सहयोग निधि आदि महत्वपूर्ण मसलों पर आज ही चर्चा होनी थी लेकिन इन मुद्दों पर विस्तृत चर्चा नहीं हो सकी। उल्लेखनीय बात यह है कि लोकसभा में पराजित उम्मीदवारों को पार्टी ने पहली बार ऐसा मंच उपलब्ध कराया जहां से वह अपनी बात भी कह सकेंगे। अभी तक तो उन पर एक तरफा प्रहार होता रहा। संगठन मंत्री माखन सिंह, भगवत शरण माथुर, अरविन्द मेनन, माया सिंह, सुमित्रा महाजन, सुन्दरलाल पटवा, डॉ. रामकृष्ण कुसमारिया, यशोधरा राजे सिंधिया, बाबूलाल गौर उपस्थित थे। कार्यसमिति की इस बैठक में प्रदेश सरकार के दस मंत्री एवं पचास के करीब पार्टी पदाधिकारी मौजूद रहे।
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रंग लाएगी रानी की एक्सरसाइज

[ Monday, July 13, 2009 | 0 comments ]
मुंबई। फिल्म ‘हड़िप्पा’ के फोटोस्टिल रिलीज हो गए हैं। जिन्होंने भी रानी को इस फिल्म में देखा है, वे उनके स्लिम ट्रिम फिगर पर कुर्बान जा रहे हैं। दरअसल इन दिनों शूटिंग के अलावा रानी मुखर्जी का ज्यादातर समय एक्सर-साइज में जा रहा है। उनकी यह एक्सरसाइज दो तरह की है। एक तो वे अपने शरीर पर खासा ध्यान दे रही हैं और उसे मेनटेन करने के लिए और एक्सरसाइज कर रही हैं। दूसरा प्रोड्यूसरों के यहां तक की दौड़ भाग। फि ल्म ‘हड़िÞप्पा’ के लिए उन्होंने अपनी देह स्लिम ट्रिम कर ली है। अब उनकी चिंता है कि वे फिर से थुलथुल न हो जाएं। दोबारा शरीर पर चर्बी न चढ़ जाए। यही कारण है कि शूटिंग के दौरान भी रानी के साथ पर्सनल ट्रेनर रहता है। जैसे ही उनका शूट खत्म होता है, वे फौरन एक्सरसाइज शुरू कर देती हैं। इधर वे एक और एक्सरसाइज में लगी दिख रही हैं अब वे यशराज बैनर की फिल्मों के अलावा दूसरे प्रतिष्ठित बैनरों में भी काम करने के लिए लालायित हैं।
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मध्य प्रदेश में खदान धसने से 3 की मौत, 2 घायल

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होशंगाबाद। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में मुरूम खदान के धसजाने से तीन मजदूरों की मौत हो गई है और दो घायल हो गए। अवैध उत्खनन कराने वाले व्यक्ति के खिलाफ पुलिस मामला दर्ज कर रही है।

पुलिस के मुताबिक होशंगाबाद के पथरौटा थाने के महौला गांव में सोमवार की सुबह मुरूम खदान में जब मजदूर काम कर रहे थे तभी वह अचानक धस गई। इस हादसे में तीन मजदूरों राम किशोर, सुरेश और चरण की मौके पर ही मौत हो गई। दो मजदूर घायल हो गए। इटारसी के अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस) देवेंद्र सिंह राजपूत ने आईएएनएस को बताया कि यह मुरूम खदान अवैध रूप से चल रही थी। पुलिस ने इस खदान के संचालक की तलाश शुरू कर दी है। खदान संचालक के खिलाफ पुलिस मामला भी दर्ज करेगी।
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मेट्रो के निर्माणाधीन स्थल पर फिर हादसा, 6 घायल

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नई दिल्ली। दक्षिणी दिल्ली में मेट्रो के एक निर्माणाधीन स्थल पर जारी राहत कार्य के दौरान गार्डर के गिरने से छह श्रमिक घायल हो गए।
इसी जगह रविवार को एक निर्माणाधीन पुल के गिरने से छह लोगों की मौत हो गई थी। यह हादसा उस समय हुआ जब दुर्घटनास्थल से मलबा हटाने के दौरान एक गार्डर गिर गया। इस गार्डर की चपेट में छह श्रमिक आ गए। घायलों को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती करवाया गया। Read More »
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एसबीआई ने तूफान पीड़ितों को दी सहायता राशि

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कोलकाता। भारतीय स्टेट बैंक ने पश्चिम बंगाल में तबाही मचाने वाले तूफान आइला से पीड़ित लोगों की सहायता करने के लिए सोमवार को एक करोड़ रुपये की राशि दान की। इस तूफान की चपेट में आकर राज्य में 138 से ज्यादा लोग मारे गए थे। यह राशि बैंक के अध्यक्ष ओ. पी. भट्ट ने मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य को सौंपी। Read More »
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गुजरात में जहरीली शराब से मौत मामले में एक गिरफ्तार

[ Thursday, July 9, 2009 | 0 comments ]
अहमदाबाद गुजरात पुलिस ने जहरीली शराब के कारण हुई 65 लोगों की मौत मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है लेकिन अभी तक कोई पुख्ता सुराग उसके हाथ नहीं लग पाया है। अहमदाबाद अपराध शाखा ने बुधवार देर रात हरिशंकर कहार ऊर्फ हरि नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया। यहां जहरीली शराब पीने से पिछले 72 घंटों में 65 लोगों की जान चली गई है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘‘हमने इस मामले में प्रमुख संदिग्ध को पकड़ा है और वह जांच में सहयोग कर रहा है। हरि ने जहरीली शराब के असली आपूर्तिकर्ता के बारे में नहीं बताया है जो अब तक एक रहस्य बना हुआ है।’’ अधिकारी ने बताया कि हरि को अहमदाबाद के ओढव इलाके से गिरफ्तार किया गया। उसके ठिकाने पर छापेमारी के दौरान सैकड़ों लीटर शराब बरामद की गई। राज्य सरकार ने जनजातीय क्षेत्रों के अधिकारियों से कहा कि वह अपने इलाकों खासकर मध्य प्रदेश और राजस्थान से सटे जिलों में छापेमारी अभियान चलाएं, ताकि देशी शराब के उत्पादन को पूरी तरह बंद किया जा सके। Read More »

प्रधानमंत्री के एक घंटे के दौरे पर हुए 1.92 करोड़ रुपये खर्च

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रांची। इस साल अप्रैल में झारखंड के बोकारो स्टील संयंत्र में एक घंटे के लिए आए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यात्रा पर कुल 1.92 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसको लेकर संयंत्र के अधिकारियों के खिलाफ गुरुवार को एक जनहित याचिका दाखिल की गई। झारखंड उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका में सुरेश साव नामक व्यक्ति ने संयंत्र के प्रबंधन में मौजूद अधिकारियों के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच करवाने व कार्रवाई की मांग की है। पिछले साल 22 अप्रैल को प्रधानमंत्री संयंत्र की विस्तार परियोजना का उद्घाटन करने आए थे। उनके साथ तत्कालीन इस्पात मंत्री रामविलास पासवान भी थे। बोकारो के ही रहने वाले साव ने इससे पहले सूचना के अधिकार के तहत खर्च की जानकारी हासिल की। अपनी याचिका में उन्होंने कहा है कि उनको जो जानकारी दी गई उससे अधिकारियों द्वारा की गई वित्तीय धांधली का पता चलता है। उन्हें जानकारी दी गई कि कार्यक्रम के प्रबंधन के लिए एक कंपनी को 1.41 करोड़ रुपये दिए गए। इसके अलावा स्टेज के निर्माण पर 9.27 लाख, बच्चों के लिए टोपी खरीदने पर 1.04 लाख और टेंट हाऊस और अन्य चीजों में 18.05 लाख रुपये खर्च हुए। बिस्कुट और अन्य चीजों की खरीद पर 4.08 लाख रुपये खर्च हुए। इस मुद्दे पर संयंत्र के अधिकारियों से कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया। Read More »
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खजाना है खाली, फिर भी घोषणाओं की लगादी झड़ी

[ Tuesday, July 7, 2009 | 0 comments ]
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने उस आम आदमी के लिए पूरी तरह दिल खोल कर खजाना लुटाने और उसे लुभाने की भरपूर कोशिश की है जिसके नाम पर वह दोबारा सत्ता में आई है। प्रणब दा ने जहां किसानों, दलितों और अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए कई योजनाओं में बड़े पैमाने पर धनराशि बढ़ाई है वहीं मध्यमवर्गीय आयकर दाता को भी उसकी आयकर छूट में दस हजार रुपये की राहत देकर उसे भी संतुष्ट करने की कोशिश की है जबकि महिलाओं को इस मद में मौजूदा 1.80 लाख की छूट सीमा को बढ़ाकर 1.90 लाख तथा वरिष्ठ नागरिकों की छूट सीमा 2.25 लाख से बढ़ाकर 2.40 लाख करने का प्रस्ताव रखा है। महंगाई के इस दौर में यह मामूली छूट सीमा ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ से अधिक कुछ नहीं है। वर्ष 2009-10 के बजट प्रस्तावों से यदि सबसे अधिक निराशा किसी को हुई है तो वह है कारपोरेट जगत। वित्तमंत्री ने औद्योगिक घरानों के कारपोरेट करों को पूर्ववत ही रखा है। वित्तमंत्री ने पूरे बजट में कृषि के साथ-साथ विभिन्न प्रमुख जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए धन आवंटन में जो फरागदिली दिखाई है वह कांग्रेस के चुनाव घोषणा-पत्र को अमलीजामा पहनाने की कवायद भी होती दिख रही है। पिछले चुनाव में सरकार के लिए वोट बटोरने का मूल मंत्र सिद्ध हुई राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) के लिए तो धन आवंटन में ढाई गुना वृद्धि कर उसे 39100 करोड़ तक कर दिया है। इसी तरह प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के रूप में एक नई योजना को पायलट आधार पर शुरू करने की घोषणा की गई है जिसके तहत 50 प्रतिशत से अधिक दलित आबादी वाले 1000गांवों के समग्र विकास का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पिछले चुनाव में अल्पसंख्यक वोट बैंक के कांग्रेस के खाते में वापस आने से उत्साहित संप्रग सरकार ने अल्पसंख्यकों के विकास की योजनाओं को तरजीह देते हुए उसमें 74 प्रतिशत धन राशि की वृद्धि की है तथा अल्पसंख्यक छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की नई योजनाएं भी शुरू करने का प्रावधान किया गया है। कांग्रेस के मुख्य चुनावी वायदे गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों को तीन रुपये किलो गेहूं या चावल देने को भी पूरा करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके लिए खाद्य सुरक्षा कानून में प्रावधान के लिए जल्दी ही लोकसभा में एक विधेयक पेश किया जाएगा। ये सारी लोक लुभावन घोषणाएं सुनने-पढ़ने में वास्तव में बड़ी अच्छी लग रही हैं लेकिन इसका एक कड़वा सच यह भी है कि वे सब पूरी कैसे होंगी? इनके लिए धन के स्रोत किस पहाड़ी से फूटेंगे?
संप्रग सरकार के दूसरे कार्यकाल के इस पहले बजट में न तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आर्थिक सुधारों की छाया दिखाई दे रही है और न ही इसमें मोंटेक सिंह अहलूवालिया की कोई छाप है। बल्कि यदि देखा जाए तो यह सीधे-सीधे वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी और कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी की ही प्रति छाया अधिक दिख रही है। प्रणब दा के बारे में यों भी यह बात प्रचलित है कि उन्हें न तो कोई दबाव में लेकर किसी तरह की रियायत हासिल कर सकता है और न ही उन्हें अपने फैसले से डिगा सकता है। यों वित्तमंत्री ने बजट तैयार करने से पूर्व जिस तरह औद्योगिक घरानों, कारपोरेट जगत तथा बड़े औद्योगिक संगठनों से परामर्श करते समय उनकी तमाम समस्याओं को सुना जरूर लेकिन बजट प्रस्तावों को अंतिम रूप उन्होंने अपने ही अंदाज में दिया। पूरे बजट में उन्होंने कृषि, रोजगार और ग्रामीण एवं आम आदमी को ही जिस तरह प्रमुखता दी है उससे यह भी आभास होता है कि प्रणब दा ने निकट भविष्य में ही हरियाणा, महाराष्ट्र व पश्चिम बंगाल आदि कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को भी पूरी तरह नजर में रखा है। स्वाधीनता के 62 वर्ष बाद यह पहला अवसर है जबकि दस लाख करोड़ से अधिक का बजट प्रस्तुत किया गया है। विश्व आर्थिक संकट से उबरने के लिए सरकार खर्च में भारी वृद्धि और उद्योग एवं व्यापार जगत को विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहनों के कारण चालू वित्त वर्ष में सरकार का वित्तीय घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.8 प्रतिशत तथा राजस्व घाटा 4.8 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है। इसके साथ ही 1.2 करोड़ नौकरियां देने का लक्ष्य निर्धारित कर उन्होंने बेरोजगारों में एक नई उम्मीद भी जगाई है। प्रधानमंत्री की सड़क योजना के तहत धन आवंटन में 59 प्रतिशत वृद्धि से भी रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। भूतपूर्व सैनिकों की एक रैंक-एक पैशन की लंबे समय से चली आ रही मांग को भी पूरा करने की दिशा में की गई घोषणा से 12 लाख से अधिक जवानों को फायदा होगा। वित्तमंत्री के बजट भाषण के साथ ही शेयर बाजार में आ रही गिरावट इस बात का प्रमाण थी कि कारपोरेट करों में कोई राहत न दिए जाने से बाजार में मायूसी है। लेकिन वित्तमंत्री ने यह कहकर उन्हें आश्वस्त भी करने की कोशिश की है कि बजट के बाद भी तो कई महत्वपूर्ण फैसले लिए जाते हैं। जहां तक रक्षा बजट का प्रश्न है निश्चित रूप से उसमें वृद्धि आवश्यक थी। देश की सीमाओं पर जो मौजूदा तनावपूर्ण स्थिति है तथा पड़ौस में बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों के मद्देनजर बाह्य एवं आंतरिक सुरक्षा पर जिस तरह का दबाव है उसमें सेना के अत्याधुनिकीकरण की सख्त जरूरत है। पाकिस्तान में तालिबानों के खिलाफ चल रहे सैनिक अभियान से भी भारत के सुरक्षा इंतजामों को और पुख्ता करने की आवश्यकता है। विगत वर्ष की तुलना में रक्षा बजट को 34 प्रतिशत बढ़ाकर 1.41 लाख करोड़ करने का प्रस्ताव रखा गया है जबकि आंतरिक सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस विभाग के आधुनिकीकरण के लिए 430 करोड़ की राशि रखी गई है। प्रस्तावित बजट प्रावधानों से देश के विकास की नई तस्वीर तो बनती है बशर्ते उनके सही क्रियान्वयन की व्यवस्था हो। लाख टके का सवाल यही है कि जिस आम आदमी के लिए वित्तमंत्री ने यह कवायद की है उस आम आदमी को इसके लाभ कैसे मिल सकेंगे? Read More »